आज हममें से प्रत्येक व्यक्ति मँहगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। हम सभी इन दोनों महादानव के शिकंजे में दिन-ब-दिन फँसते चले जा रहे हैं और हमारा जीवन दिनोंदिन दुःखमय होता चला जा रहा है। अंग्रेजों की गुलामी के समय हम दुःखी तो थे ही पर गुलामी से मुक्ति मिल जाने के बाद भी हम दुःखी ही हैं। गुलामी के समय में हमें गोरे अंग्रेज लूटते थे और अब काले अंग्रेज लूट रहे हैं। हम दुःखमय जीवन सिर्फ इसलिए जी रहे हैं
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Thursday, October 20, 2011
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