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Sunday, December 23, 2012

बलात्कारी खुद को निर्दोष सिद्ध करे, ऐसा कानून बनाने की मांग पागलपन है!

प्रत्येक क्षेत्र में प्रक्रियात्मक सुधार के लिये हर स्तर पर आमूलचूल परिवर्तन के लिये मन से तैयार होना होगा और देश में कानून बनाने से लेकर कानूनों को लागू करने, दोषी को सजा देने तथा सजा भुगताने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को न केवल पूरी तरह से पारदर्शी ही बनाना होगा, बल्कि हर एक स्तर पर पुख्ता, सच्ची और समर्पित लोगों की भागीदारी से निगरानी की संवेदनशील व्यवस्था भी करनी होगी। जिससे किसी निर्दोष को किसी भी सूरत में सजा नहीं होने पाए और किसी भी सूरत में किसी भी दोषी को बक्शा नहीं जा सके! इसके साथ-साथ 21वीं सदी में तेजी बदलते समय के आचार-विचारों, पश्चिम के प्रभावों को और देश पर अंगरेजी थोपे जाने के कुपरिणामों को ध्यान में रखते हुए, पुरातनपंथी कही जाने वाली और अव्यावहारिक हो चुकी हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं, प्रथाओं और रीतियों से समाज को क्रमश: मुक्त करने की दिशा में केवल कुछ दिन नहीं, बल्कि दशकों तक लगातार कार्य करना होगा। तब ही केवल बलात्कार ही नहीं, बल्कि हर प्रकार के अन्याय और अपराध से पीड़ितों को संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा।