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Friday, November 23, 2012

दवा कंपनियां, डॉक्‍टर और दुकानदार: आखिर इस मर्ज की दवा क्‍या है

दवा, डॉक्टर एवं दुकानदार के प्रति भोली-भाली जनता इतना विश्वास रखती है कि डॉक्टर साहब जितनी फीस मांगते हैं, दुकानदार जितने का बिल बनाता है, को वह बिना किसी लाग-लपेट के अपना घर गिरवी रखकर भी चुकाती है. क्या आप बता सकते हैं कि कोई घर ऐसा है, जहां कोई बीमार नहीं पड़ता, जहां

Thursday, October 20, 2011

केवल एक व्यक्ति को जागरूक करके आप बहुत बड़ी देशसेवा कर सकते हैं!

आज हममें से प्रत्येक व्यक्ति मँहगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। हम सभी इन दोनों महादानव के शिकंजे में दिन-ब-दिन फँसते चले जा रहे हैं और हमारा जीवन दिनोंदिन दुःखमय होता चला जा रहा है। अंग्रेजों की गुलामी के समय हम दुःखी तो थे ही पर गुलामी से मुक्ति मिल जाने के बाद भी हम दुःखी ही हैं। गुलामी के समय में हमें गोरे अंग्रेज लूटते थे और अब काले अंग्रेज लूट रहे हैं। हम दुःखमय जीवन सिर्फ इसलिए जी रहे हैं