आदिवासी को गुस्सा क्यों आता है? (1)
पलाश विश्वास
मित्रों, यह आलेख कोई सामान्य आलेख न समझें, कृपया। कृपया इस आलेख के साथ दिये गये लिंक पर क्लिक करके आदिवासी आवाज को सुनें। हमने जिन्हें मुख्यधारा से काटकर अलग कर दिया है, कट जाने के बाद उनके जख्मी दिलो दिमाग से रिसते खून की अनंत धारा को तनिक स्पर्श करें और अपने से पूछें कि क्या हम लोकतंत्र के काबिल हैं!