Showing posts with label निजी क्षेत्र. Show all posts
Showing posts with label निजी क्षेत्र. Show all posts

Sunday, April 3, 2016

निजी क्षेत्र में व्याप्त खुले शोषण को रोकने हेतु सख्त कानूनी सुधार जरूरी

निजी क्षेत्र में व्याप्त खुले शोषण को
रोकने हेतु सख्त कानूनी सुधार जरूरी
====================
लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

वर्ष 1991 में जैसे नरसिम्हा राव की सरकार ने सत्ता संभाली या यह कहना अधिक उचित होगा कि वीपी सिंह एवं चन्द शेखर की सरकार द्वारा बरबार अर्थव्यवस्था के सुधार के लिये जैसे ही रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया के पूर्व गर्वनर डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के वित्तमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली भारत को फिर से कॉर्पोरेट के गुलाम बनाने की शुरूआत हो गयी। खुले बाजार और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ प्रतियोगिता के नाम पर डॉ. मनमोहन सिंह की नीति को पीवी नरसिम्हाराव के बाद अटलबिहारी वाजपेयी और अन्तत: स्वयं डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने उत्तरोत्तर प्र​गति के साथ जारी रखा। जिसके चलते भारत का पहले से कमजोर तबका लगातार वंचित और बेहाल हो गया तथा किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो गये। स्त्रियों की स्थिति बद से बदतर हो गयी। निम्न श्रेणी की सरकारी नौकरियां समाप्त करने की प्रकिया शुरू हो गयी।

वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार भारत की अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को सौ फीसदी हिस्सेदारी प्रदान करके सम्पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट घरानों पर मेहरबान है। जिसके चलते जहां एक ओर भ्रष्टाचार चरम पर है, वहीं दूसरी ओर आम व्यक्ति, किसान, स्त्री और वंचित तबका बेहाल है। अपरिहार्य तकनीकी पदों को छोड़कर ग्रुप डी की सरकारी नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं। जिसके चलते वंचित तबकों को प्रशासन में प्राप्त संवैधानिक प्रतिनिधित्व/आरक्षण का मूल अधिकार हमेशा के लिये नेस्तनाबूद किया जा चुका है।

यहां जो सबसे महत्वूपर्ण और विचारणीय तथ्य है, वह यह कि—सरकारी क्षेत्रों में जिन कार्यों के लिये, जितनी पगार मिला करती थी या वर्तमान में मिल रही, उसी कार्य के लिये ठेकदार द्वारा एक चौथाई पगार पर वंचित तबके के लोगों को कार्य पर रखा जा रहा है। जिसके चलते वंचित वर्ग का खुला शोषण हो रहा है। लेकिन इसकी ओर 1991 से आज तक किसी भी सरकार या जनप्रतिनिधि ने जरा सा भी ध्यान नहीं दिया। दुष्परिणामस्परूप वर्तमान में जो कार्य ग्रुप डी सरकारी कर्मचारी 25 से 40 हजार रुपये महावार वेतन में करता है, वही कार्य ठेकदार के अधीन कार्यरत मजदूर 9 से 12 हजार प्रतिमाह में करने को विवश है। जिसे अन्य किसी प्रकार की कोई सुविधा या कानूनी संरक्षण भी प्राप्त नहीं हैं।

इस शोषक व्यवस्था के कारण कारोबारी, ठेकेदार, कॉर्पोरेट घराने और ठेका प्रदान करने वाले सरकारी अफसर लगातार मालामाल होते जा रहे हैं। हों भी क्यों नहीं, जब कार्य की लागत का अनुमान/ऐस्टीमेट सरकारी दर पर बनाया जाता है और ठेकेदार द्वारा मजदूरों से सरकारी दर की तुलना में मात्र एक चौथाई दर पर कार्य करवाया जाता है। इसमें जो मुनाफा होता है, उसकी आपस में बन्दरबांट होती है, जिसका निर्धारित हिस्सा सरकार में उच्चतम स्तर तक​ पहुंचता है। इसी काले धन के कारण भ्रष्ट धनकुबेरों और भ्रष्ट अफसरों की संख्या में बेतहासा बढोतरी हो रही है। इसी के चलते चुनावों में बेतहासा धन खर्च/विनियोग किया जाता है। जीतने के बाद खर्चे गये/विनियोग किये गये खर्चे का सैकड़ों गुणा वसूला जाता है। जिसका सरलतम रास्ता है—ठेकादारी/अनुबन्ध प्रथा।

डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा बिना पर्याप्त कानून बनाये और वंचित तबके के संवैधानिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किये शुरू की गयी खुली अर्थव्यवस्था के कारण वर्तमान में हर एक जिले में हजारों भ्रष्ट लोग तो मालामाल हो गये, लेकिन लाखों—करोंड़ों लोगों को हमेशा—हमेशा के लिये दलित, वंचित और शोषित बना दिया गया है। जिसकी ओर कोई भी ध्यान देने की जरूरत नहीं समझता है। वर्तमान में निर्वाचित होकर विधायिका में पहुंचने वाले जनप्रतिनिधियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बहुत बड़ी संख्या शोषक ठेकेदारों की भी है। इस कारण इस बारे में कभी भी विधायिका में कोई सुधारात्मक चर्चा नहीं होती है। ऐसे में वंचित तबका लगातार शोषण के दुष्चक्र और गरीबी के अंधकूप में समाता जा रहा है। जिसके चलते दैहिक शोषण सहित अनेकों प्रकार के अपराधों में वृद्धि हो रही है। किसान आत्महत्या करने को विवश हैं और देश का मोस्ट वर्ग प्रशासन में प्रस्तावित संवैधानिक हिस्सेदारी के मूल अधिकार से असंवैधानिक तरीके से वंचित किया जा रहा है।

इस प्रायोजित समस्या का समाधान उन्हीें सत्ताधारी लोगों अर्थात् डॉ. मनमोहन सिंह के मानसपुत्रों के अधिकार क्षेत्र में है, जिन्होंने इसे अर्थव्यवस्था में सुधार के नाम पर जन्म देकर पोषित किेया है। अर्थात् कार्यपालिका और विधायिका द्वारा न्यायसंगत कानून बनकार ठेकेदारों के अधीन कार्यरत मजदूरों एवं कर्मकारों को न्यायसंगत वेतन, भत्ते, भविष्य निधि, चिकित्सा सुविधा, आपात निधि आदि की व्यवस्था करके इस समस्या का स्थायी निराकरण सम्भव है, लेकिन ऐसे जरूरी और न्यायसंगत कानून बनाते ही ऊपर तक पहुंचने वाला कमीशन मिलना बन्द हो जायेगा। इस कारण स्थित विकट हो चुकी है।

अत: शोषण और अन्याय के खिलाफ सच्चे इरादों से प्रयासरत हम लेखकों, चिन्तकों और मीडिया से जुड़े लोगों का दायित्व है कि हम जनागरण के जरिये इस अत्यधिक समस्या को समाज और सरकार के सामने लायें। जिससे शोषण और अन्याय के खिलाफ जनमत खड़ा हो सके और वर्तमान शोषक व्यवस्था से मुक्ति के लिये सख्त कानून बनाने को सरकार को विवश किया जा सके। याद रहे एकजुट जनमत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। आइये—एकजुट होना शुरूआत है।
- : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' 9875066111/03-04-2016/08.25 AM
@—लेखक का संक्षिप्त परिचय : मूलवासी-आदिवासी अर्थात रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया। होम्योपैथ चिकित्सक और दाम्पत्य विवाद सलाहकार। राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोसिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक) और पूर्व राष्ट्रीय महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ।

नोट : उक्त सामग्री व्यक्तिगत रूप से केवल आपको ही नहीं, बल्कि ब्रॉड कॉस्टिंग सिस्टम के जरिये मुझ से वाट्स एप पर जुड़े सभी मित्रों/परिचितों/मित्रों द्वारा अनुशंसितों को भेजी जा रही है। अत: यदि आपको किसी भी प्रकार की आपत्ति हो तो, कृपया तुरंत अवगत करावें। आगे से आपको कोई सामग्री नहीं भेजी जायेगी। अन्यथा यदि मेरी ओर से प्रेषित सामग्री यदि आपको उपयोगी लगे तो इसे आप अपने मित्रों को भी भेज सकते हैं।

यह पोस्ट यदि आपको आपके किसी परिचत के माध्यम से मिली है, लेकिन यदि आप चाहते हैं कि आपको मेरे आलेख और आॅडियो/वीडियो आपके वाट्स एप इन बॉक्स में सदैव मिलते रहें तो कृपया आप मेरे वाट्स एप नं. 9875066111 को आपके मोबाइल में सेव करें और आपके वाट्स एप से मेरे वाट्स एप नं. 9875066111 पर एड होने/जुड़ने की इच्छा की जानकारी भेजने का कष्ट करें। इसक बाद आपका परिचय प्राप्त करके आपको मेरी ब्रॉड कास्टिंग लिस्ट में एड कर लिया जायेगा।

मेरी फेसबुक आईडी : https://www.facebook.com/NirankushWriter
मेरा फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/nirankushpage/
पूर्व प्रकाशित आलेख पढने के लिए : http://hrd-newsletter.blogspot.in/
एवं http://ppnewschannel.blogspot.in/
फेसबुक ग्रुप https://www.facebook.com/groups/Sachkaaaina/