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Wednesday, March 9, 2016

रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया : मूलवासी-आदिवासी
समस्त प्रजातियों को एकजुट होने की जरूरत है!!
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लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
भारत के मूलमालिक, मूलवासी, आदिनिवासी, जिन्हें आम बोलचाल में आदिवासी कहा जाता है, जबकि संविधानसभा में शामिल मूलवासी प्रतिनिधि जयपाल सिंह मुंडा के तीखे विरोध के बावजूद मूलवासी-आदिवासियों को संविधान में अनुसूचित जन जाति लिखा गया है, जो वर्तमान भारत में सर्वाधिक कष्टमय जीवन जीने को विवश है। जिसका मूल कारण भारत के मूलवासी के साथ संविधान निर्माताओं द्वारा किया गया अन्याय है। मूलवासी प्रजाति का मौलिक अस्तित्व मिटाने के लिए, उसे अजजा नाम दे दिया गया। केवल इतना ही नहीं, बल्कि आदिनिवासी जो हकीकत में रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया हैं, उनकी अनेक प्रजातियों को षड्यंत्र पूर्वक संविधान निर्माताओं, केंद्र सरकार और विधायिका ने अजजा, अजा और ओबीसी में विभाजित कर दिया। इस कारण वर्तमान में भारत के मूलमालिक-मूलवासी की खोज करना, मूलवासियों की पहली और अनिवार्य जरूरत है। जिसमें बकवास वर्ग से प्रभावित और भ्रमित कुछ मूलवासी जो खुद को शूद्र मानते हैं, विदेशी मूल की नस्लों के लिए उपयोग में लाये जाने वाले मूलनिवासी शब्द को गढ़कर और मूलवासियों पर थोपकर बलात् व्यवधान पैदा कर रहे हैं। जिनमें बामसेफी वामन मेश्राम प्रमुख व्यक्ति हैं, जो बामणों द्वारा दी गयी शूद्र नामक गाली को सार्वजनिक रूप से अंगीकार कर के, खुद को शूद्रवंशी मान रहे हैं। जबकि बाबा साहब के अनुसार शूद्र सूर्यवंशी आर्य क्षत्रियों के वंशज थे, जिनका उपनयन संस्कार बन्द कर के बामणों ने उनको शूद्र बना दिया। दूसरी और संसार के सबसे बड़े, क्रूर और दुर्दांत हत्यारे आर्य-ब्राह्मण परशुराम ने समस्त क्षत्रियों की 21 बार अभियान चलाकर निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी थी। वहीं बाबा साहब का कहना है कि वर्तमान अजा, दलित और अछूत जातियां ही शूद्र हैं, इस बात का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है। बाबा साहब के उक्त निष्कर्ष का आज तक किसी ने खण्डन नहीं किया है। इससे यह तथ्य स्वत: प्रमाणित होता है कि वर्तमान अजा एवं ओबीसी वर्गों में भी अनेक जातियां शूद्रवंशी या विदेशी मूलनिवासी नहीं, बल्कि अदिनिवासी मूलवासी हैं। जो रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया हैं। आज विभिन्न वर्गों में शामिल समस्त रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया-मूलवासी-आदिवासी जातियों को एकजुट होने की जरूरत है। क्योंकि रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया अर्थात अजा, अजजा और ओबीसी में शामिल हम सभी भारत के मूलवासियों की प्रजातियों को एकजुट होकर अनेक मोर्चों पर लड़ना होगा। मूलवासियों को अनेक विदेशी विचारधाराओं से सतत संघर्ष करना होगा। जिनमें गांधीवादी लोग जो मूलवासी को गिरिवासी कहते हैं। याद रहे गांधी ने भारत का वारिसाना हक प्राप्त करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे निरस्त करके कोर्ट ने निर्णय दिया था कि भारत गांधी या  कांग्रेस का नहीं, बल्कि मूलवासी-आदिवासी का देश है, जिसका वारिसाना हक गांधी और उनकी कांग्रेस को नहीं दिया जा सकता। आर्यवंशी विदेशी लोगों द्वारा प्रतिपादित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के पोषक संघी जो भारत के मूलमालिक आदिवासी को वनवासी कहते हैं। इनसे मुक्ति मूलवासियों की सबसे बड़ी चुनौती है। हमारे की मूलवासियों में शामिल प्रजातियों के कुछ लोग जो बामसेफी प्रभाव में हैं, जबकि बामसेफी जो मूलवासी को मूलनिवासी-विदेशी शूद्रों की औलाद सिद्ध करने में जुटे हुए हैं, ये लोग आज मूलवासी-आदिवासी के विरुद्ध सर्वाधिक मूर्खतापूर्ण और आत्मघाती कार्य कर रहे हैं। केंद्र सरकार और अनेक राज्य सरकारें जो देश के मूलवासियों के प्राकृतिक हकों को बलपूर्वक छीन रही हैं और प्रतिरोध करने पर मूलवासी को नक्सलवादी घोषित कर रही हैं। अंत में अफसरशाही जो हमेशा व्यवस्था के नाम पर सत्ता की चाटुकारिता करती है, वो भी मूलवासियों के हकों के विरुद्ध जारी षडयन्त्रों में सहायक सिद्ध हो रही है। अत: रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया : मूलवासी-आदिवासी की अजा, अजजा और ओबीसी में शामिल समस्त प्रजातियों को सबसे पहले शीघ्रता से एकजुट होने की जरूरत है!!
जय भारत। जय संविधान।
नर-नारी सब एक समान।।
लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
9875066111/09-03-2016/07.37 AM
@—लेखक का संक्षिप्त परिचय : मूलवासी-आदिवासी रियल ऑनर ऑफ़ इण्डिया। होम्योपैथ चिकित्सक और दाम्पत्य विवाद सलाहकार। राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोसिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक) और पूर्व राष्ट्रीय महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ।

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Friday, February 12, 2016

'मूलनिवासी' की असत्य अवधारणा वंचित वर्गों की एकता में बड़ी बाधा

'मूलनिवासी' की असत्य अवधारणा
वंचित वर्गों की एकता में बड़ी बाधा
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लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

वर्तमान में देश की बहुसंख्यक वंचित  मोस्ट MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) आबादी हजारों सालों के जन्मजातीय विभेद, शोषण और उत्पीड़न के कारण हर क्षेत्र में पिछड़ी हुई है। बकवास BKVaS=(B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग द्वारा मोस्ट वर्ग के लोगों का कदम—कदम पर उत्पीड़न और शोषण किया जाता रहा है। जिसके लिये बकवास वर्ग की कूटनीति, कुनीति और विभेदक नीति तो मूल कारण है ही, लेकिन मोस्ट वर्ग के समूहों में आपसी एकता तथा सदभावना का नहीं होना भी बहुत बड़ा कारण है। जिसके पीछे अग्रिणी वर्ग द्वारा देश, समाज और दूसरे वर्ग को गुमराह करने की नीति भी मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जिसके अनेक कारण हैं। जिसका सबसे सबसे बड़ा कारण है—'मूलनिवासी' की असत्य अवधारणा का सहारा लेकर इतिहास को झुठलाना।

विश्वस्तरीय विद्वान बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेड़कर जी ने गहन अध्ययन, शोध, विश्वसनीय तथ्यों और उपलब्ध अनेकानेक सन्दर्भ ग्रंथों के आधार पर सिद्ध किया है कि प्रारम्भ में आर्यों में त्रिस्तरीय वर्ण व्यवस्था थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य। प्रारम्भ में शूद्र इस त्रिस्तरीय वर्ण व्यवस्था में आर्य—क्षत्रिय वर्ण में शामिल थे। जिनका ब्राह्मणों द्वारा बाकायदा उपनयन संस्कार किया जाता था। उनको यज्ञ करने का अधिकार होता था। उनके अनेकों बड़े—बड़े सूरवीर राजा हुए, जिन्होंने बड़े—बड़े युद्ध किये थे। कालान्तर में ब्राह्मणों से भी उनके अनेक युद्ध हुए, जिनके कारण अन्तत: ब्राह्मणों ने तत्कालीन आर्य—क्षत्रियों का उपनयन संस्कार करना बन्द कर दिया और उनको आर्य—क्षत्रिय वर्ण से गिराकर वैश्य से भी नीचे नये चौथे शूद्र वर्ण में धकेल दिया। जिसके कारण आर्य—क्षत्रियों की ब्राह्मणों द्वारा सामाजिक दुर्गति कर दी। इस प्रकार बाबा साहब के अनुसार शूद्र भारत के मूल​वासी नहीं होकर विदेशी आर्य—क्षत्रियों के वंशज हैं। जबकि बाबा साहब के अनुसार और अनेक दूसरे स्रोतों से प्रमाणित तथ्यों के अनुसार असुर, राक्षस कही/बोली जाने वाली या लिखी गयी भारत की मूलवंशी आदिम जातियों के वंशज हैं। जिन्हें आज आदिवासी लिखा और बोला जाता है, जबकि संविधान निर्माताओं की धोखाधड़ी के चलते वर्तमान में भारत के मूलवंशी, मूलवासी, आदिनिवासी, इंडीजिनियश indigenous प्रजाति को अनुसूचित जनजाति बना दिया गया। जिसके चलते भारत के मूलवासी अन्याय के शिकार हो रहे हैं।

इस प्रकार वर्तमान में अजा एवं अजजा वर्ग में शामिल जातियों का मौलिक उदभव एक नहीं है। आदिवासी भारत के मूलवंशी, मूलवासी, आदिनिवासी, इंडीजिनियश indigenous हैं, जबकि शूद्र विदेशी आर्य—क्षत्रियों के वंशज हैं। इसके उपरान्त भी इतिहास को तोड़—मरोड़कर बामण मेश्राम जैसे शूद्रवंशी लोगों द्वारा बहुसंख्यक वंचित आबादी की मुश्किलों और समस्याओं का समाधान और निराकरण करने का संवैधानिक रास्ता सुझाने के बजाय शूद्रों को भारत की मूलवंशी प्रजाति प्रमाणित करने के मकसद से 'मूलवासी' शब्द से मिलता—जुलता 'मूलनिवासी' शब्द उपयोग में लाकर देश के वंचित लोगों को गुमराह किया जा रहा है। जिसके लिये तथाकथित डीएनए को आधार बनाया जा रहा है। इस डीएनए की मूल रिपोर्ट मुझे आज तक देखने/पढने को नहीं मिली है। यद्यपि इस कथित डीएनए रिपोर्ट में भारत की 'मूलवासी' प्रजाति आदिवासियों के बारे में क्या कुछ निष्कर्ष/रिपोर्ट है, आज तक इस बारे में कोई जानकारी बामण मेश्राम की ओर से प्रकट नहीं की गयी है। इसके उलट वंचित वर्गों का दुर्भाग्य है कि जिस प्रकार से ब्राह्मण—आर्य अपने आप को मूलभारतीय सिद्ध करने के लिये भारत के इतिहास का पुनर्लेखन कर दुष्प्रचार कर रहे हैं, उसी प्रकार से क्षत्रिय—आर्य—शूद्रवंशी बामण मेश्राम भी अपने आप को और शूद्रों को मूलभारतीय सिद्ध करने के लिये 'मूलनिवासी' शब्द और कथित डीएनए रिपोर्ट का अनाप—शनाप प्रचार—प्रसार कर रहे हैं। इन हालातों में देश की बहुसंख्यक वंचित आबादी में एकता कायम होने के बजाय दूरियां पैदा हो रही हैं। इसलिये 'मूलनिवासी' की असत्य अवधारणा वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्गों की एकता में एक बहुत बड़ी बाधा बन चुकी है। जिसे तत्काल निरस्त किये जाने की जरूरत है। कारण और भी हैं, जिन पर आने वाले दिनों में विचार किया जायेगा।

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
9875066111/दि.12.02.2016
———​मेरी ओर से प्रेषित सामग्री यदि आपको उपयोगी लगे और यदि आप चाहते हैं कि आपको मेरे आलेख और आॅडियो/वीडियो आपके वाट्स एप इन बॉक्स में सदैव मिलते रहें तो आपको मेरे वाट्स एप नं. 9875066111 को अपने मोबाइल में सेव करके वाट्स एप नं. 9875066111 पर एड होने की इच्छा की जानकारी भेजनी होगी। तदोपरान्त आपका परिचय प्राप्त करके आपको एड कर लिया जायेगा। धन्यवाद।

जय भारत! जय संविधान!
नर-नारी सब एक समान!!

@—लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक), पूर्व रा महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, दाम्पत्य विवाद सलाहकार तथा लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित। वाट्स एप एवं मो. नं. : 9875066111/दि.12.02.2016/08.29 PM
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