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Friday, January 22, 2016

रोहित तुम जी सकते थे!




रोहित तुम जी सकते थे!
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रोहित 
तुम जी सकते थे।
अपमान के कड़वे घूंट 
पी सकते थे।
टेक सकते थे घुटने 
झुका सकते थे सिर
बन सकते थे समझौतावादी 
मगर तुमने खुद को सुना 
और दूसरा रास्ता चुना
जो कि ठीक ही था ।
............

रोहित 
तुम्हारे कमरे में पाया गया था 
'खतरनाक सामान '
तस्वीर बाबा साहब 
और सावित्री बाई फुले की ।
तुमने किये थे कुछ देशविरोधी कृत्य
जैसे कि -
फाँसी की सजा की मुख़ालफ़त।
तुमने दंगों की हकीकत बतानी चाही थी।
तुमने 'मुजफ्फरनगर अभी बाक़ी है'
जैसी फिल्म दिखानी चाही थी ।
तुम्हें सिर्फ रिसर्च करना था 
तुम्हें सोचने की कौन बोला ?
तुमने चुपचाप रहना था
तुम्हें बोलने की कौन बोला ?
...............

रोहित 
तुमने सोच भी कैसे लिया ?
कि प्रचण्ड बहुमत वाले 
इस चक्रवर्ती राज में
तुम जो चाहोगे वो बोलोगे
और उनके विरुद्ध मुंह खोलोगे ।
उनकी मर्जी के खिलाफ 
कुछ भी मनचाहा खा लोगे ? 
नहीं करना था ,
पर तुमने किया ये सब
बन गए थे तुम एक कांटा
एक ना एक दिन 
निकालना ही था तुमको ।
..............

रोहित 
मंत्री बण्डारु और वीसी अपा राव
कह रहे है कि
उन्होंने नहीं मारा तुमको ?
सही बात है ,
वे अब नहीं मारते 
किसी को ।
उनके पूर्वज मारते थे ,
एकलव्यों से अंगूठा कटवा लेते थे
और शम्बुकों का काट देते थे गला ।
पर अब वे ऐसा नहीं करते ।
बस बना लेते है फंदे
गले के नाप के ।
फिर कोशिस करते है 
कि वो फंदे 
हमारे गलों के काम आ जाये ।
अब वे मारते नहीं 
करते है मरने को मजबूर ।
तुम्हारे साथ भी तो 
यही किया इन्होंने ।
......................
रोहित 
तुम लेखक बनना चाहते थे,
पर लेख बन गए ।
तुमने मर कर भी वही किया 
जो तुम ज़िंदा रह कर 
कर सकते थे ।
तुमने इस समाज ,
राष्ट्र और धर्म के 
दोगलेपन और अन्यायकारी
चरित्र को किया है उजागर ।
तुम आज प्रतिरोध की 
सबसे प्रमुख आवाज़ बन गए हो ।
.......
रोहित
तुम्हारी मौत 
आत्महत्या 
नहीं हैं ।
तुम आत्महंता नहीं 
आत्मबलिदानी हो 
हमारी नज़र में ।
तुमने लिया 
क्रूर व्यवस्था के विरुद्ध
सबसे कठोर निर्णय ।
.......................
रोहित 
तुम्हारा आखिरी खत 
जिसे सुसाइड नोट कहा जा रहा है ।
पढ़ा है मैने भी ।
तुमने खोल कर रख दिया 
अपना भीतर ।
तुमने उघाड़ दिया 
हम सबका बाहर ।

हाँ रोहित 
तुमने सही कहा 
हमारी भावनाएं दोयम ,
प्रेम बनावटी
और मान्यताएं झूठी हो गई है।
आदमी अब सिर्फ 
एक आंकड़ा, एक वोट
और वस्तु भर रह गया है ।

यह सच है मेरे दोस्त।
तुमने ठीक ही लिखा ।
तुम ठीक ही लड़े ।
तुमने सब ठीक ही किया ।
काश ,तुम और जी पाते !
लड़ पाते ,
बिना थके ।
तुम्हारी बेहद जरूरत थी 
इस भयानक दौर को ।
तुम्हारी तरह आज़ाद ख्याल
निडर, बेमिसाल
इंसान चाहिए था हमको।
..........

रोहित 
अब चिंता 
सिर्फ इतनी सी है कि
तुम्हारा बलिदान 
व्यर्थ नहीं जाये।
यह जंग कहीं 
हम हार नहीं जाये।
कोई और एकलव्य
अपना अंगूठा नहीं खो दे।
किसी मरजादा 
पुरुषोत्तम के हाथ
हम अपना शम्बूक नहीं खो दें।

तुम तो चले गए सितारों के पार 
पर हमें लड़नी होगी 
एक लम्बी लड़ाई।
हमें उम्मीद है 
कि एक न एक दिन 
हम उन सितारों को 
धरा पर उतार लाएंगे दोस्त
तुम्हारे खातिर।
ताकि भविष्य में 
कोई और रोहित वेमुला 
इस तरह नहीं जाये चला 
हाथों से हमारे।
जिस तरह तुम
मरते वक्त थे 
बिलकुल खाली।
अभी वैसे ही मैं 
बिलकुल शून्य हो कर 
सोच रहा हूँ।
पर मरने के लिए नहीं ,
जीने के लिए...
एक आखिरी और निर्णायक जंग
लड़ने और जीतने के लिए....
कहते हुए तुमको ।
एक क्रन्तिकारी जय भीम।
-भंवर मेघवंशी
(स्वतन्त्र पत्रकार एवम् सामाजिक कार्यकर्ता।
संपर्क -bhanwarmeghwanshi@gmail.com व्हाट्सएप-09571047777)

Friday, January 4, 2013

महिलाओं पर नेताओं के बेतुके बयान!

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे और जंगीपुर से कांग्रेस के सांसद अभिजीत मुखर्जी ने गैंग रेप के खिलाफ दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर कैंडल मार्च करने का फैशन चल पड़ा है। अभिजीत ने कहा कि लड़कियां दिन में सज-धज कर कैंडल मार्च निकालती हैं और रात में डिस्को जाती हैं। अभिजीत ऐसे बेतुके बयान देने वाले अकेले नहीं हैं। ऐसे नेताओं की लिस्ट लंबी है। आगे देखिए तो जरा...-27.12.12

मुंबई आतंकी हमले के बाद बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने नेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं कुछ महिलाओं के बारे में कहा था कि ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी। नकवी ने इन महिलाओं की तुलना कश्मीर के अलगाववादियों से कर दी थी। उन्होंने कहा था कि नेताओं के विरोध में नारे लगाने वाले ग्रुपों की जांच होनी चाहिए।-27.12.2012

2008 में युवा टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बयान पर विवाद हुआ था। शीला ने कहा था, 'इतना अडवेंचरस नहीं होना चाहिए। वह एक ऐसे शहर में सुबह के तीन बजे अकेली गाड़ी चलाकर जा रही थी जहां रात के अंधेरे में महिलाओं का निकलना बहुत सुरक्षित नहीं माना जाता, मुझे लगता है कि हमें थोड़ा एहतियात बरतना चाहिए।'-27.12.2012

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आजादी को रेप की वजह बताया था। उन्होंने कहा था कि लड़के-लड़कियों को माता-पिता द्वारा दी गई आजादी से ही बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही हैं।-27.12.2012

महिला आरक्षण विधेयक जब पहली बार संसद में रखा गया था तब जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा था कि इस विधेयक के जरिये क्या आप 'परकटी महिलाओं' को सदन में लाना चाहते हैं ? उनकी इस टिप्पणी पर महिला संगठनों ने कड़ा विरोध जताया था और आखिरकार शरद यादव को माफी मांगने पर मजबूर होना पड़ा था।-27.12.2012

संसद में असम हिंसा पर चर्चा के दौरान होम मिनिस्टर सुशील कुमार शिंदे ने समाजवादी पार्टी सांसद और फिल्म ऐक्ट्रेस जया बच्चन पर विवादित टिप्पणी की थी। असम मुद्दे पर बहस के दौरान गृह मंत्री शिंदे ने जया बच्चन को बीच में टोकते हुए कहा, ' मैडम जरा ध्यान से सुनिए। यह (असम मुद्दा) कोई फिल्मी इशू नहीं है'। शिंदे के इस ताने से जया बच्चन बुरी तरह भड़क गईं, जिसके बाद शिंदे को माफी मांगनी पड़ी।-27.12.2012

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता धर्मवीर गोयल ने रेप के लिए लड़कियों को ही दोषी ठहरा दिया था। उन्होंने कहा था कि नब्बे फीसदी मामलों में बलात्कार नहीं, बल्कि लड़कियां सहमति से संबंध बनाती हैं।-27.12.2012

कुपोषण पर इंटरव्यू के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मिडिल क्‍लास परिवारों की लड़कियों को सेहत से ज्‍यादा खूबसूरत दिखने की फ्रिक होती है। उन्होंने कहा था कि अच्छे फिगर की चाहत में लड़कियां कम खाती हैं।-27.12.2012

2010 में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि महिला आरक्षण बिल पास होने से संसद ऎसी महिलाओं से भर जाएगी, जिन्हें देखकर लोग सीटियां बजाएंगे। वहीं एक दूसरे बयान में उन्होंने कहा था कि बड़े घर की लडकियां और महिलाएं ही ऊपर तक जा सकती हैं क्योंकि उनमें आकर्षण होता है। इसलिए महिला आरक्षण बिल से ग्रामीण महिलाओं को कोई फायदा नहीं होगा।-27.12.2012

टीएमसी विधायक चिरंजीत चक्रवर्ती ने रेप पर दिए गए बयान में कहा था कि ऎसी वारदात के लिए कुछ हद तक लड़कियां भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हर रोज उनकी स्कर्ट छोटी हो रही हैं। फिल्म जगत से राजनीति में आए चिरंजीत ने कहा, 'लड़कियों से छेड़छाड़ कोई नई घटना नहीं है। प्राचीन समय से ही इस तरह की घटना हो रही है। यह मामूली घटना है। इस तरह की घटना नहीं होगी तो फिल्म कैसे चलेगी। फिल्म में खलनायक का होना जरूरी है। रामायण में रावण तो होगा न।'-27.12.2012

सीपीएम के सीनियर नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री अनीसुर रहमान ने मर्यादा की सारी हदें तोड़ दी। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछा कि वह रेप के लिए कितना चार्ज लेंगी। हालांकि, इस पर बवाल होने के बाद उन्होंने माफी मांग ली और कहा कि भूलवश उन्होंने ऐसी बात कह दी।-28.12.2012

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने विवादित बयान दिया कि औरतें अपनी सीमाएं लांघ देती हैं तो उन्हें दंड मिलना तय है। वर्गीज ने कहा- 'एक ही शब्द है- मर्यादा। मर्यादा का उल्लंघन होता है, तो सीता-हरण हो जाता है। लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची गई है। उस लक्ष्मण रेखा को कोई भी पार करेगा, तो रावण सामने बैठा है, वह सीता हरण करके ले जाएगा।-04.12.13
स्त्रोत : विभिन्न!