आज हममें से प्रत्येक व्यक्ति मँहगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। हम सभी इन दोनों महादानव के शिकंजे में दिन-ब-दिन फँसते चले जा रहे हैं और हमारा जीवन दिनोंदिन दुःखमय होता चला जा रहा है। अंग्रेजों की गुलामी के समय हम दुःखी तो थे ही पर गुलामी से मुक्ति मिल जाने के बाद भी हम दुःखी ही हैं। गुलामी के समय में हमें गोरे अंग्रेज लूटते थे और अब काले अंग्रेज लूट रहे हैं। हम दुःखमय जीवन सिर्फ इसलिए जी रहे हैं
क्योंकि हम में से अधिकतर लोग जागरूक नहीं हैं। यदि हम जागरूक रहते तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता। सन 1948 में जब काले अंग्रेजों की लूट जीप घोटाले के रूप में उजागर हुआ था, यदि उसी समय जागरूक जनता ने उन काले अंग्रेजों को उखाड़ फेंका होता तो आज स्वतन्त्र भारत का इतिहास ही कुछ और होता। किन्तु हमारे दुर्भाग्य से वैसा नहीं हुआ और घोटालेबाजों को इससे शह मिलने के कारण एक के बाद एक कई घोटाले होते चले गए। जनता अपनी खून-पसीना बहा कर कमाई गई गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को देती रही किन्तु जनता की वह कमाई काले अंग्रेजों का काला धन बनकर विदेशी बैंकों में जमा होते चली गई। जनता ने अपनी खुशहाली के लिए सरकार को टैक्स दिया था पर वह खुशहाल होने के स्थान पर दिनोंदिन खस्ताहाल होते चली गई।
क्योंकि हम में से अधिकतर लोग जागरूक नहीं हैं। यदि हम जागरूक रहते तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता। सन 1948 में जब काले अंग्रेजों की लूट जीप घोटाले के रूप में उजागर हुआ था, यदि उसी समय जागरूक जनता ने उन काले अंग्रेजों को उखाड़ फेंका होता तो आज स्वतन्त्र भारत का इतिहास ही कुछ और होता। किन्तु हमारे दुर्भाग्य से वैसा नहीं हुआ और घोटालेबाजों को इससे शह मिलने के कारण एक के बाद एक कई घोटाले होते चले गए। जनता अपनी खून-पसीना बहा कर कमाई गई गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को देती रही किन्तु जनता की वह कमाई काले अंग्रेजों का काला धन बनकर विदेशी बैंकों में जमा होते चली गई। जनता ने अपनी खुशहाली के लिए सरकार को टैक्स दिया था पर वह खुशहाल होने के स्थान पर दिनोंदिन खस्ताहाल होते चली गई।
देश की जनता चुपचाप जुल्मो-सितम सहते चली गई और अब तक सह रही है। इस प्रकार से अत्याचार सहने के पीछे केवल यह विचार था, और है, कि 'आखिर हम कर ही क्या सकते हैं'? अत्याचार सहने को हमने अपना नियति मान लिया। ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि हममें से अधिकतर लोग जागरूक नहीं हैं।
यदि आप उन चन्द लोगों में से एक हैं जो कि जागरूक हैं तो आप अन्य लोगों को जागरूक होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। आप उनके मस्तिष्क में यह बात बिठा सकते हैं कि सत्ता की शक्ति का दुरुपयोग करके हमें लूटने वाले काले अंग्रेजों को हम ही सत्ता के सिंहासन में बिठाते हैं अपना वोट देकर। यदि हम उन्हें चुनाव न जिताएँ तो उन्हें कभी भी सत्ता-शक्ति प्राप्त न हो सके। हम तो हनुमान हैं, जिनके पास असीम शक्ति है, किन्तु हम अपने बल को भूले हुए हैं। आप उन्हें समझा सकते हैं कि हमारा वोट कम्बल, कपड़े, दारू आदि के बदले बिकने वाली वस्तु नहीं है। सही व्यक्ति को वोट देने से हम खुशहाल हो सकते हैं और गलत को वोट देने से खस्ताहाल। लोगों को उनके वोट का महत्व समझाइये। विश्वास मानिये कि यदि आप केवल एक व्यक्ति को भी जागरूक करते हैं तो वह भी देश की एक बहुत बड़ी सेवा होगी, क्योंकि आपके द्वारा जागरूक किया गया व्यक्ति किसी अन्य एक व्यक्ति को जागरूक करेगा, श्रृंखला बढ़ती चली जाएगी और देश के अधिकतर लोग जागरूक हो जाएँगे।स्त्रोत : धान के देश में, लेखक :-जी.के. अवधिया!
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