Thursday, February 25, 2016

आखिर देश बड़ा या आरक्षण? देशद्रोह और राष्ट्रहित क्या है?

आखिर देश बड़ा या आरक्षण?
देशद्रोह और राष्ट्रहित क्या है?
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लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग में शामिल किसी भी जाति या किसी भी वर्ग या किसी हिस्से की ओर से जब—जब भी सामाजिक न्याय के संवैधानिक हक अर्थात् बराबरी की मांग या गुहार की जाती है, बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्गी मानसिकता के लोगों द्वारा हर बार, विभिन्न माध्यमों से यही सवाल उठाया जाता है कि देश बड़ा या आरक्षण? पहले गूजर आरक्षण आन्दोलन के दौरान और इन दिनों जाट आरक्षण आन्दोलन को लेकर फिर से यही उठाया जा रहा है। जब कभी मुसलमानों की ओर से ऐसा कोई या किसी प्रकार का कोई आन्दोलन किया जाता है तो उन्हें तो इन बकवासवर्गी मानसिकता के लोगों द्वारा सीधे—सीधे देशद्रोही और पाकिस्तान परस्त करार दे दिया जाता है।
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर देश है क्या?

अल्पसंख्यक, ओबीसी, दलित, आदिवासी, घुमुंतू, विमुक्त आदि कोई भी वंचित वर्ग अपने हकों की मांग करता है तो उनको बकवासवर्गी लोगों द्वारा हक और हिस्सेदारी दी नहीं जाती। जब संवैधानिक हक एवं समान हिस्सेदारी के लिये सड़कों पर उतरकर आन्दोलन किये जाते हैं तो ऐसे आन्दोलन देशहित के खिलाफ करार दे दिये जाते हैं! बल्कि ऐसे लोगों को देशद्रोही करार दे दिया जाता है। अत: 'आखिर देश है क्या?' इस सवाल का उत्तर तलाशने से पहले हमें 'देशहित और देशद्रोह की परिभाषा क्या है?' इस दूसरे सवाल का उत्तर भी तलाशना होगा।

भारत में बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग के संवैधानिक हक और समान हिस्सेदारी की बात या मांग करना, बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्गी लोगों की नजर में देशद्रोह है। राष्ट्रहित के विरुद्ध है। क्योंकि राष्ट्रहित और देशद्रोह की परिभाषा गढने का हक भी सत्ता पर हजारों सालों से काबिज इसी बकवासवर्गी मानसिकता के लोगों द्वारा अपने पास कैद किया हुआ है। जिसे बकवासवर्गी मीडिया लगातार बकवास वर्ग के पक्ष में हवा देता रहता है। बकवासवर्गी मीडिया, बकवासवर्गी विचारों के पक्ष में और वंचित मोस्ट वर्ग के विरुद्ध लोगों को गुमराह तैयार करता रहता है। जिसे बकवासवर्गी लोग जनमत कहते हैं। जब भी बकवास वर्ग के असंवैधानिक और जबरन काबिज हितों में कमी होने की आशंका नजर आती है, ऐसे प्रयाय देश के विरुद्ध करार दे दिये जाते हैं। मांग करने वालों को देशद्रोही करार दे दिया जाता है।

अत: भारत में बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग को गम्भीरतापूर्वक इस कड़वी सच्चई को जितना जल्दी सम्भव हो समझने की जरूरत है कि आखिर बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्गी लोगों के शोषण या मनमानी या तानाशाही या मनुवादी आतंक के विरुद्ध या बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग के संवैधानिक हक और समान हिस्सेदारी के समर्थन में कोई भी मांग या आन्दोलन देशद्रोह क्यों है? राष्ट्रहित के विरुद्ध क्यों है? इस सवाल का उत्तर जान लेने के बात स्वत: ही इस सवाल का जवाब मिल जायेगा कि 'आखिर देश है क्या?'

वास्तव में देखा जाये तो इन दिनों—'बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग' की सत्ता, मनमानी, बकवास वर्ग का मनुवादी आतंक, शोषण, बलात्कार, गुण्डाराज और तानाशाही ही देश का पर्याय बन चुके हैं। इन सब अपराधों के विरुद्ध कोई भी मांग, गुहार या आन्दोलन बकवास वर्गी लोगों द्वारा देशद्रोह और राष्ट्रहितों के विरुद्ध करार दे दिये जाते हैं! आरक्षण भी बकवासवर्गी लोगों के प्रशासनिक अधिपत्य को तोड़ता है, अत: इनकी दृष्टि में राष्ट्रहित के विरुद्ध है।

यहां यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि बकवासवर्गी मीडिया के मार्फत जाट आन्दोलन के दौरान हिंसा तथा अपराध की जो खबरें प्रकाशित, प्रचारित एवं प्रसारित की जा रही हैं, यदि वे सच हैं तो निन्दनीय हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जाटों को इस आन्दोलन के लिये विवश किसने और क्यों किया?

जब त​क भारत के बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग को उसके सभी संवैधानिक हक और समान हिस्सेदारी नहीं मिलेगी, वंचित मोस्ट वर्ग का आक्रोश ऐसे आन्दोलनों में प्रकट होता रहेगा। दु:ख इस बात का है कि ऐसे आन्दोलनों से पीड़ित होने वाले में अधिकतर मोस्ट वर्ग के लोग ही होते हैं। बकवास वर्ग ऐसे आन्दोलनों से अप्रभावित ही रहता है। अत: भारत के बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग को संवैधानिक हकों और समान हिस्सेदारी के लिये ऐसी योजना और रणनीति बनाने की जरूरत है कि 'बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग' तुरन्त घुटने टेकने को मजबूर हो जाये। देश के मोस्ट वर्ग के चिन्तनशील लोगों को इस बारे में तत्काल गम्भीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है।

जय भारत! जय संविधान!
नर-नारी सब एक समान!!
@—लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक), पूर्व रा महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, दाम्पत्य विवाद सलाहकार तथा लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित। वाट्स एप एवं मो. नं. : 9875066111 / दि.25.02.16/ 08.54AM
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—निवेदक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 27 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  3. बेहतरीन...
    आनन्दित हुई आलेख पढ़ कर
    है तो गहन सोच का विषय
    पर आपके द्वारा इस आलेख को रेखांकित करती हूूँ
    आभार विभा दीदी को..
    सादर..

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