बकवास वर्ग द्वारा कभी भी देश को गृहयुद्ध के
बहाने आपातकाल की ओर धकेला जा सकता है!
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लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
24 अक्टूबर, 2015 को ''देश गृहयुद्ध और आपातकाल की ओर—क्या हम इसके लिये तैयार हैं?'' शीर्षक से मैंने एक लेख लिखा था। जिसमें मैंने लिखा था कि———
''———मैं कभी भी किसी जाति के नाम से कोई टिप्पणी लिखने में विश्वास नहीं करता। लेकिन ब्राह्मणों की ओर से सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करना कि—''आरक्षण के फन को कुचलेगा ब्राह्मण संगठन'' मुझ जैसे संयमित प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले व्यक्ति को भी जवाबी प्रतिक्रिया व्यक्त करने को विवश किया जा रहा है। यद्यपि खुद ब्राह्मणीय व्यवस्थानुसार ब्राह्मण जाति, जाति नहीं, बल्कि कथित हिन्दू धर्म का सर्वोच्च वर्ण है। अत: ब्राह्मण को जाति मानकर नहीं, बल्कि वर्ण मानकर और उनकी असंवैधानिक ललकार को पढकर मैं संवैधानिक सच्चाई और प्रथमदृष्टया नजर आ रहे हालात को लिखने को विवश हूं।
मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि अपने आप को भू—देव अर्थात् इस पृथ्वीलोक का साक्षात देवता कहने वाले, 'वसुधैव कुटम्बकम' की बात लिखने वाले ब्राह्मणों के मात्र 2-3 फीसदी वंशज—ब्राह्मण वर्ग के लोग सार्वजनिक रूप से देश की तीन चौथाई आरक्षित (3/4) आबादी के संवैधानिक हकों को सांप का फन सम्बोधित करके कुचलने की बात कहते हैं। मनुवादी तथा कॉर्पोरेट मीडिया ऐसी असंवैधानिक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित भी करता है। सरकार चुप्पी साधे हुए हैं। संविधान को धता बताकर आरक्षण को कुचलने की बात पढकर भी आरक्षित वर्ग के लोग या तो भयभीत हैं या फिर उनको अपने बहरूपिये राजनेताओं पर अति-आत्मविश्वास है। क्या इसे संवैधानिक भारतीय लोकतांत्रिक गणतंत्र कहा जा सकता है? क्या इन हालातों में भारत के कमजोर तबके के सुरक्षित जीवित रहने की आशा की जा सकती है? इसके पीछे के कारण विश्वस्तरीय चिन्ता का कारण बनते जा रहे हैं।
कारण जो भी हों लेकिन इस समय देश के हालात शर्मनाक और आम व्यक्ति तथा वंचित तबकों के लिये चिन्ताजनक हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अर्थात् आरएसएस और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के बयानों तथा उनके व्यक्तिगत क्रियाकलापों से ऐसा प्रतीत होता है कि आरक्षण तथा जातीय हिंसा के बहाने देश को गृहयुद्ध में धकेला जा रहा है। साफ तौर पर हालात ऐसे नजर आ रहे हैं कि गृहयुद्ध के बहाने देश में आपात काल लागू कर के सत्ताधारी पार्टी मनुवादी व्यवस्था लागू करने की ओर अग्रसर होती दिख रही है।——''
उपरोक्त लेख में व्यक्त विचारों के साथ—साथ देश के वर्तमान हालातों में भारत की सत्ता पर काबिज बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग द्वारा या बकवास वर्ग की मानसिकता की सरकार द्वारा सामाजिक न्याय की आधारशिला जातिगत जनगणना को जानबूझकर सार्वजनिक नहीं किये जाने के साथ—साथ बकवास वर्गीय मानकिता के द्वारा अंजाम दी गयी कुछ अमानवीय और असंवैधानिक घटनाओं पर सतर्कतापूर्वक ध्यान दिये जाने की जरूरत है। राजस्थान के डांगावास में दलितों को बेरहमी से कुचला गया। उत्तर प्रदेश में पुलिस की उपस्थिति में दलित महिलाओं में सरेराह नंगी करके दौड़ाया गया। मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा प्रायोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम से पहले बिनाकिसी विधिक प्राधिकार के आदिवासी लड़कियों का कौमर्य और गर्भ परीक्षण। संविधान को धता बताकर बिना किसी मांग और बिना किसी वैधानिक औचित्य के राजस्थान की उच्चवर्णीय जातियों के तथाकथित गरीब लोगों को 14 फीसदी आरक्षण का बिल राजस्थान विधानसभा में पारित किया गया, जबकि तथाकथित गरीबों की कुल जनसंख्या एक फीसदी से भी कम है। राजस्थान की गुर्जर जाति को वर्षों से संवैधानिक हकों से लगातार वंचित किया जा रहा है। छत्तीसगढ एवं झारखण्ड में आदिवासी महिलाओं के साथ आयेदिन सामूहिक बलात्कार। छत्तीसगढ आदिवासी लड़कियों के स्तन निचोड़कर एवं सार्वजनिक रूप उनके अधोवस्त्रों को हटाकर पुरुष फोर्स द्वारा उनके यौनांगों का निरीक्षण—परीक्षण कर कौमार्य की परीक्षा करना। हैदराबाद विश्वविद्यालय में वंचितवर्गीय रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिये विवश करना, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पुखराज मीणा का उत्पीड़न और जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में कन्हैया कुमार को देशद्रोही करार देना। इससे कुछ समय पूर्व हरियाणा में दलित बच्चों को जिन्दा जलाया जाना। अरुणाचल प्रदेश में बिना संवैधानिक औचित्य के आपातकाल लगाने की सिफारिश करना। पहले सुप्रीम कोर्ट के मार्फत जाट जाति का आरक्षण समाप्त करवाना फिर, गुजरात से पटेलों के मार्फत ललकार की 'पटेलों को आरक्षण नहीं तो किसी को नहीं' और अब जाट जाति का आरक्षण आन्दोलन। यह सब क्या है? देश किस ओर जा रहा है? इन विकट हालातों में भी वंचित वर्ग के कुछ आर्य—शूद्र, जो खुद को अतिविद्वान सझते हैं, जाट जाति के आरक्षण के विरुद्ध जाट जाति के राजनैतिक एवं प्रशासनिक प्रतिनिधित्व के आंकड़े गिनवाने में व्यस्त हैं। ऐसे लोगों के पास बकवास वर्ग के कथित गरीबों को आरक्षण दिलाने की मांग करने वाली मायावती के विरुद्ध बोलने के लिये एक शब्द नहीं होता है। न हीं मायावती को बकवास वर्ग के आंकड़े उपलब्ध करवाये जाते हैं।
राजस्थान विधानसभा में राज्य की एक फीसदी से भी कम उच्चवर्गीय जातियों के कथित गरीब लोगों को 14 फीसदी आरक्षण का बिल पास करते समय बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग की जातियों के विधायकों द्वारा विरोध करना तो दूर पक्ष एवं विपक्ष दोनों ओर से समर्थन में तालियां बजाई गयी। ऐसे हालात में धनप्रतिनिधि और दलप्रतिनिधि बन चुके, जनप्रतिनिधियों के भरासे संविधान, लोकतंत्र और गणतंत्र की रक्षा की उम्मीद करना अपने आप को धोखा देने के सदृश्य है। यदि अभी भी बहुसंख्यक वंचित MOST=(Minority+OBC+SC+Tribals) वर्ग नहीं जागा तो बहुत जल्द सब कुछ समाप्त हो जाने वाला है। विशेषकर इस कारण कि वंचित वर्ग के जनप्रतिनिधि मौन साधे हुए हैं। देश में चाहे कितने ही अन्याय और अत्याचार हो जायें, वंचित वर्ग के जनप्रतिनिधि तब तक मौन ही साधे रहेंगे, जब तक की उनके राजनैतिक दल के बकवासवर्गीय आलाकामना की ओर से बोलने की स्वीकृति नहीं मिलेगी। यह लड़ाई बहुत बड़ी है। जिसे आमजन को ही लड़ना होगा और बकवासवर्गीय लोगों को राष्ट्र, राष्ट्रहित, देशद्रोह, सामाजिक न्याय एवं भागीदारी की परिभाषा समझानी होगी। मीडिया को उसका दायित्व समझाना होगा। अब भारत की सत्ता पर काबिज बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग से भारत की आजादी का बिगुल बजाना ही होगा। जिसका एक मात्र रास्ता है। निष्पक्ष जातिगत जनगणना के आंकड़े घोषित हों और वर्तमान अजा, अजजा एवं आबीसी तीन वर्गों को समाप्त कर, समान पृष्ठभूमि की जातियों के एक दर्जन से अधिक वर्ग बनाकर सभी को सत्ता एवं संसाधानों में समान भागीदारी एवं हिस्सेदारी मिले। अन्यथा बकवास वर्ग द्वारा कभी भी देश को गृहयुद्ध के बहाने आपातकाल की ओर धकेला जा सकता है!
जय भारत! जय संविधान!
नर-नारी सब एक समान!!
@—लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक), पूर्व रा महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, दाम्पत्य विवाद सलाहकार तथा लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित। वाट्स एप एवं मो. नं. : 9875066111 / दि.22.02.16/06.44AM
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—निवेदक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
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