मद्रास उच्च न्यायालय ने भारत संघ बनाम एम् रवि(2011 (3) सी टी सी 200) के निर्णय में कहा है कि निचले अपीलीय न्यायालय का निष्कर्ष कि बचाव पक्ष द्वारा चार दीवारी के भीतर पानी ठहरना अनुमत करना उपेक्षापूर्ण कार्य है , मामले की दी गई परिस्थितियों और तथ्यों में सही व उचित है और हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है| सरकारी पैरोकार का यह तर्क कि उन्होंने अनधिकृत रूप से झोंपडियां बना ली और वे चारदीवारी गिरने के लिए क्षतिपूर्ति का दावा नहीं कर सकते| यह तर्क गुणहीन है|परिसर के मालिक का कर्तव्य है कि वह ढांचे की सुरक्षा करे और यदि मरम्मत के अभाव में यह गिरता है तो जो कोई इससे क्षतिग्रस्त होता है उसके प्रति मरम्मत न करवाने के कारण वह जिम्मेदार है | यह सुनिश्चित कानून है |
इंटरनेट के दौर में कम हो रही है पठनीयता !
2 days ago
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