प. बंगाल के मुख्यमन्त्री ज्योति बसु द्वारा कलकता उ.न्या. के एक न्यायाधिपति के प्रभाव में आकर भूखंड आवंटन के प्रकरण में दायर जनहित याचिका कलकता उ.न्या ने तारकसिंह नामोपरि ज्योति बसु - ए.आई.आर. 1999 कल 354 में महाराष्ट्र में मुख्यमन्त्री द्वारा मेडिकल सीट आवंटन प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस प्रसंग में यह बल देना महत्त्वपूर्ण है कि विधि शासन की प्रथम आवष्यकता मनमानी शक्तियों का अभाव होना है जिस पर हमारा सम्पूर्ण संवैधानिक निकाय आधारित है। विधि शासन द्वारा शासित शासन में किसी कार्यपालक प्राधिकारी को विवेकाधिकार जब भी दिया जाये वह स्पष्ट रूप से परिभाशाओं में परिमित होना चाहिए। विधि शासन का अभिप्राय है कि निर्णय ज्ञात सिद्धान्तों एवं नियमों को लागू करते हुए लिए जाने चाहिए और सामान्यतया ऐसे निर्णय नागरिकों द्वारा पूर्वानुमान योग्य होने चाहिए। यहां तक कि संविधान द्वारा 34 वर्ष पूर्व विधि के समक्ष समानता एवं अवसर की समानता की घोषणा के बावजूद कुछ राज्यों के मुख्यमन्त्री अभी भी व्यावसायिक महाविद्यालयों में प्रवेश और राज्य पदों पर नियुक्तियों को अपना निजी साम्राज्य मानते आ रहे हैं। इस बात की अनुमति नहीं दी जा सकती कि एक ही श्रेणी के पंक्तिबद्ध खडे़ कई व्यक्तियों में से मनमानीपूर्वक चुनकर चयन किया जावे। एक ही वर्ग या श्रेणी से सम्बन्ध लोगों में पसंदगी हेतु एक तर्काधारित पारदर्शी एवं सोद्देश्य प्रक्रिया /परिमान बनाये जाने की आवश्यकता है जो उचित एवं गैर मनमाना हो। हम निर्देश देते हैं कि सरकार द्वारा अपनायी जाने वाली कोई भी प्रक्रिया पारदर्शी, न्यायपूर्ण, उचित एवं गैर मनमानीपूर्ण हो। किन्तु आवंटन फिर भी निरस्त नहीं किया गया।
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