भारत में पुलिस दुराचरण के मामले प्रायः अखबारों की सुर्ख़ियों में बने रहते हैं| फर्जी मुठभेड़ के बहुत से मामले प्रकाश में आने के बाद भी अभी तक विधि आयोग एवं राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों पर कोई सम्यक कार्यवाही नहीं हुई है| अंग्रेजी शासन काल में सरकार विरोधी स्वरों को दबाने–कुचलने लिए पुलिस का बर्बर प्रयोग किया जाता था| आज स्वतंत्रता के 64 वर्ष बाद भी पुलिस की भूमिका और छवि में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देता है| पुलिस सत्तासीन और शक्ति संपन्न लोगों के मोहरे की तरह कार्य करती देखी जा सकती | कुछ वर्ष पूर्व बम्बई में जब फिल्म अभिनेता सलमान खान ने सड़क पर सो रहे कुछ लोगों को कुचल दिया था तो पुलिस ने मात्र लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने का अभियोग लगाया था| जब यह मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो उसी पुलिस ने सलमान खान पर 10 से भी अधिक अभियोग लगा दिए थे| भारत में पुलिस के आचरण को नियंत्रित करने के लिए अभी तक कोई प्रभावी प्रावधान नहीं हैं| कुछ राज्यों ने औपचारिक तौर पर नए पुलिस अधिनियम में नागरिक समितियां बनाने का प्रावधान अवश्य किया है किन्तु राजस्थान जैसे राज्य में 4 वर्षों के उपरांत भी अभी तक इन नागरिक समितियों का गठन नहीं हुआ है|
विश्व में इंग्लैंड की पुलिस की साफ़ छवि है| इंग्लैंड में पुलिस के लिए आचार संहिता भी बनी हुई है| इसी आचार संहिता के आधार पर भारतीय पुलिस के लिए एक आदर्श आचार संहिता निम्नानुसार बनायीं जा सकती है :-
पुलिस अधिकारी को किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध अवैध रूप से बिना भेदभाव अपनाये समानता बरतनी चाहिए, दूसरों को सम्मान देना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे पुलिस अधिकारी या जिसकी ओर से वह कार्य कर रहा है उसकी निष्पक्षता से समझौता होता हो या होना संभावित हो|
पुलिस अधिकारी को किसी द्वारा उसे विश्वास में दी गयी या प्राप्त सूचना, जिसे वह गोपनीय प्रकृति की समझता है, को सक्षम व्यक्ति की अनुमति के बिना या कानून द्वारा ऐसे अपेक्षित नहीं होने पर, प्रकट नहीं करना चाहिए| जो कोई अन्य व्यक्ति ऐसी सूचना को प्राप्त करने के लिए कानून द्वारा अधिकृत है, को प्राप्त करने से वंचित नहीं करना चाहिए|
पुलिस अधिकारी को अपनी शासकीय हैसियत में, या अन्य परिस्थितियों में अपने पद को स्वयं या अन्यों के लिए किसी लाभ अर्जन या हानि पहुँचाने के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए| जब पुलिस के संसाधनों का अन्यों द्वारा उपयोग करना अनुमत किया जाना हो या उपयोग किया जाना हो तो पुलिस की आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जायेगा व यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे संसाधनों का राजनैतिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग न होता हो यदि ऐसा प्रयोग तर्कसंगत रूप में पुलिस के शासकीय कर्तव्यों के निर्वहन में या उन्हें सुकर बनाने या उनके अनुरूप नहीं हो|
पुलिस अधिकारी को यदि किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता के उल्लंघन का तर्कसंगत विश्वास है तो उसे जैसे ही उसके लिए व्यावहारिक रूप से संभव हो इस, आशय के लिखित आरोप सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने चाहिए| एक पुलिस अधिकारी समस्त अनुशासनिक एजेंसियों के प्रति स्पष्टवादी और ईमानदार रहेगा तथा उन्हें सहयोग देगा| एक पुलिस अधिकारी को किसी मामले में व्यक्तिगत हित होने पर किसी बैठक में जिसमें वह मामला विचारण किया जाना हो, उसे ऐसा हित व उसकी प्रकृति प्रारंभ में ही, या जैसे ही यह हित दृष्टिगोचर हो प्रकट करना चाहिए| रुपये 500 से अधिक मूल्य के प्राप्त किसी भी उपहार या आतिथ्य को प्राप्ति के 15 दिन के भीतर सक्षम अधिकारी को विवरण सहित लिखित सूचना देनी चाहिए|
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