Thursday, April 9, 2015

अलवर के किसानों की जमीन पर जापानी इन्वेस्टमेंट जोन स्थापित करने की सामन्ती घोषणा का विरोध!

प्रेषक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन 
राष्ट्रीय कार्यालय : 7, तंवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
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पत्रांक : /राजस्थान/पत्र/2               दिनांक : 09.04.2015
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प्रेषिति :
मुख्यमंत्री,
राजस्थान सरकार, जयपुर।

विषय : अलवर के किसानों की जमीन पर जापानी इन्वेस्टमेंट जोन स्थापित करने की सामन्ती घोषणा का विरोध!

स्थानीय समाचार-पत्रों के माध्यम से इस संगठन को प्राप्त जानकारी के अनुसार-

1. राजस्थान की मुख्यमंत्री की हैसियत से आप ने निर्वाचित जन प्रतिनिधियों और जमीन के मालिकों से अग्रिम सहमति प्राप्त किये बिना जापान में इकतरफा घोषणा की है कि अलवर में जापानी कम्पनी को आप 500 एकड़ जमीन देंगी। इस खबर से राज्य के और विशेषकर आदिवासी बहुल अलवर जिले के सभी किसान बुरी तरह से भयाक्रान्त हो गये हैं।

2. राज्य के समस्त किसानों की ओर से आपसे यह संगठन जानना चाहता है कि आखिर लोकतान्त्रिक व्यवस्था में ऐसा सामन्ती निर्णय क्यों? इससे ऐसा क्या राष्ट्रहित होने वाला है कि किसानों की जमीन पर जापानी इन्वेस्टमेंट जोन स्थापित होगा! खबर के अनुसार इसमें सैरेमिक्स, इलेक्ट्रोनिक सिस्टम और मैन्यूफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों पर फोकस होगा। इससे किसानों की आने वाली पीढियों को क्या स्थायी परिलाभ होगा?

3. सर्वविदित है कि लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती हैं। इसलिये सरकार को जनता को यह बतलाना चाहिए कि-क्या आपके द्वारा उक्त निर्णय लिये जाने और जापान में घोषणा करने से पूर्व क्या इस तथ्य का आकलन किया गया है-कि जापानी कम्पनी को 500 एकड़ जमीन सौंपने के कारण अलवर के कितने किसान परिवार रोड पर आ जायेंगे और उनके सदस्य हमेशा को बेरोजगार हो जायेंगे?

4. यदि आपकी सरकार द्वारा ऐसा आकलन नहीं किया गया तो जनता को जानने का हक है कि क्यों नहीं किया गया? बिना आकलन घोषण क्यों की गयी? जिन किसानों की बेसकीमती उपजाऊ जमीन जापानी कम्पनी/कार्पोरेट को दी जा जाना प्रस्तावित है, उन किसान परिवारों के स्थाई पुनर्वास की क्या कोई वास्तविक और अनुभवसिद्ध योजना सरकार द्वारा बनाकर विधानसभा में अनुमोदित करवायी गयी है? यदि हॉं तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?

5. केंद्रीय सरकार द्वारा अलोकतान्त्रिक तरीके से लाये गए अध्यादेश के जरिये लाये गये भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी कानून (काले कानून) की आड़ में इस प्रकार से यदि किसानों की जमीनों को कम्पनियों/कॉर्पोरेट्स को बांटना शुरू किया गया तो आपकी सरकार द्वारा अगले सालों में न जाने कितने किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर कर दिया जाएगा?

अत: उपरोक्तानुसार जनहित में आप को अवगत करवाकर आग्रह है कि राज्य में लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा की जाये और राज्य की जमीन को विदेशियों को नहीं बेचा जाये। अन्यथा राज्य में बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी, बीमारी, अशिक्षा और अनेक प्रकार के अपराधों को बढावा मिलेगा। जिससे समाज आगे बढने के बजाय पीछे ही जायेगा। यदि किसी बड़े राष्ट्रहित में किसानों की जमीन अधिगृहित की जानी अत्यावश्यक है तो कम से कम अगले सौ वर्ष की कृषि-उपज के बराबर राशि ऐसे जमीन मालिकों को दी जाये और प्रत्येक एक एकड़ जमीन पर प्रभावित जमीन मालिक परिवार के एक-एक व्यक्ति को न्यूनतम तृतीय श्रेणी में सरकारी नौकरी प्रदान की जाये। अन्यथा इस सामन्ती निर्णय के कारण राज्य के किसानों और आम जनता में पनपने वाले असन्तोष के परिणामों के लिये राज्य सरकारी खुद जिम्मेदार होगी। 

भवदीय 

(डॉ. पुरुषोत्तम मीणा)
   राष्ट्रीय प्रमुख

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