ये हिन्दू एकता किस चिड़िया का नाम है :
1996 में भी इंटेलिज़ेंस विभाग के पूर्व निदेशक एवम् उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री टी.वी. राजेश्वर ने लिखा था कि पूर्वी भारत में एक नये इस्लामिक राज्य का नक्शा उभर रहा है। इतना ही नहीं सम्पूर्ण भारत में जहाँ मुस्लिम आबादी बढने लगती है, प्रशासन उसे संवेदनशील मानने लगती है। इस कारण से वैदिक धर्म के आयोजन करनें में बहुत सी कठिनाईयों का सामना कुछ मुस्लिम अवसरवादी नेताओं के कारण करना पडता है। लगातार ऐसे आयोजनों की शिकायत पुलिस प्रशासन को की जाती है। जिससे पुलिस प्रशासन ऐसे आयोजनों को अत्यधिक कठिनाई से और बहुत शर्तों को मनवाने बाद ही अनुमति देती हैं। पुलिस संवेदनशील क्षेत्र कहकर ऐसे आयोजनों से बजने की जुगत में रहती है।
साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने नान डाँमिनेन्ट ग्रप को ही अल्पसंख्य माना है और 3 मई 2007 को अल्पसँख्यक मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एन. एस. श्रीवास्तव नें मुस्लिमों को अल्पसँख्यक की श्रेणी से बाहर रखने की सलाह दी थी, क्योंकि यह नाँन डामिनेन्ट ग्रुप नहीं है। इनका राजनीति में भी दखल है, अकेले उत्तर प्रदेश में दोनों सदनों में 50 से अधिक विधायक है और 18 संसद सदस्य हैं। आगे प्रस्तुत है-जनसंख्या से सम्बंधित आँकडे 1951 में हुई जनगणना में देश में हिन्दु जनसँख्या थी 85 प्रतिशत और 2001 की जनसँख्या के अनुसार हिन्दु जनसँख्या 5 प्रतिशत कम होकर 80 प्रतिशत रह गयी और 1951 में ही मुस्लिम अल्पसँख्यक नहीं थे 1951 में मुस्लिम जनसँख्या थी 10 प्रतिशत और 2001 में मुस्लिम जनसँख्यख्या 3 प्रतिशत बढकर 13 प्रतिशत हो गयी। आगे की गणना और भी हतप्रभ करने वाली है।
क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि 9 साल में मुस्लिम जनसँख्या 1.6 प्रतिशत बढी, देश के लगभग 40 जिलों में मुस्लिम जनसँख्या 50 प्रतिशत से अधिक है। जम्मू कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश अत्यधिक मुस्लिम जनसँख्या वाले हो गये हैं। बाँग्लादेश से सटे लगभग सभी 10 जिले और 22 लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल्य हो चुके हैं। असम के 6 जिले तथा 126 में से 40 विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम प्रभुत्व वाले हो गये हैं। पश्चिम बंगाल में 28000 गाँवों में से 8000 गाँवों मे हिन्दु अत्यन्त अल्प हो गये हैं तथा 10 जिलों में 24 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या मुस्लिम है। उत्तर प्रदेश के 70 में से 19 जिले 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम जनसँख्या के हैं। सबसे हैरान करने वाले आँकडे हरियाणा के हैं। हरियाणा में मुस्लिम जनसँख्या तीन गुना बढी है। जम्मू कश्मीर के सात जिलों में 90 प्रतिशत मुस्लिम जनसँख्या है। सम्पूर्ण केरल में मुस्लिम जनसँख्या 19.2 प्रतिशत है और देश की राजधानी देहली में 1951 में मुस्लिम 5.71 प्रतिशत था और 2010 में यह जनसँख्या तीन गुणा हो गयी है।
परिवार नियोजन पर अल्पसंख्यकों का प्रचलित उत्तर यही रहता है कि कुरान हमें परिवार नियोजन अपनाने की इजाजत नहीं देता है अथवा बच्चे अल्लाह की दैन हैं। इसे रोकना नहीं चाहिये तो उनसे मेरे कुछ प्रश्न हैं ओमान में 4.5% , सीरिया और लीबिया में 3.7% बँग्लादेश में 3.3% जार्डन में 3.1% केन्या में 2.7% कुवैत में 2.6% और पाकिस्तान में 2.2% जनसँख्या में कमी परिवार नियोजन को अपनाने के कारण आयी है और वहाँ की इस्लामी सरकारे परिवार नियोजन पर बहुत अधिक रकम खर्च कर रही हैं। यदि इस्लामी कानून इसकी इजाज़त नहीं देता तो इन इस्लामिक देशों में परिवार नियोजन योजनाएं सरकारी खर्चों पर क्यूँ चल रही हैं?
साथ ही एक और प्रश्न भी है यदि बच्चे अल्लाह की देन है तो बीमारियाँ को भी तो अल्लाह की दी सज़ा के रूप में माने उनका ईलाज करवाने क्यूँ डाँक्टर के पास जाते हैं ये सब कुतर्क हैं जो जनता में फैलाये जाते हैं। पाखण्डी धर्माधिकारियों द्वारा जिससे देश में अल्पसँख्यक एक दिन बहुसँख्यक होकर भी अल्पसँख्यकों को मिलने वाले लाभ उठाते रहें। अल्पसँख्यकों को पहले ही पर्याप्त अधिकार दिये जा चुके हैं। शुक्रवार को नमाज़ का छूट, पूरे विश्व में कहीं भी हजयात्रा में कोई छूट नहीं होती, लेकिन भारत में हजयात्रा पर छूट मिलती है, आपको यह जानकार आश्चर्यहोगा की हमारी सरकार ने हज यात्राओ पर अब तक लगभग 10 हजार करोड़ रुपये फूँक दिये है।
स्त्रोत : युवा पंचायत
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