मध्यप्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ लगातार बढ़ते हिंसा को लेकर युवा संवाद और नागरिक अधिकार मंच द्वारा जारी किया गया श्वेत पत्र
प्रेस विज्ञप्ति दिनांक-5/04/.2012
मध्यप्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ लगातार बढ़ते हिंसा को लेकर युवा संवाद और नागरिक अधिकार मंच द्वारा जारी किया गया श्वेत पत्र
नागरिक अधिकार और युवा संवाद द्वारा मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढती हिंसा को लेकर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया . इस आयोजन में संघटनों द्वारा प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ लगातार बढ़ते जा रहे हिंसा को लेकर श्वेत पत्र जारी किया गया। प्रेस वार्ता को दीपा,अरधा,रोली, डाक्टर रिजवानुल हक,पुष्पा जी, विभा और उपासना द्वारा संबोधित किया गया।
वक्ताओं द्वारा बताया गया कि भाजपा सरकार की दूसरी पारी और आठवे वर्ष तक प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के साथ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है। लगातार होते गैंग रेप, छेड़छाड, की बढ़ती घटनाओं की वजह से आज मध्यप्रदेश महिलाओं और किशोरियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।
पिछले दो माह के दरम्यान हुई ‘‘बेटमा रेप केस’’, देवालपुरा (लिम्बांदापार गाव)के मुक बधिर के साथ रेप, मुलतई में दलित छात्रा के साथ गैगरेप, बैतुल में आदिवासी समुदाय की नाबालिक लड़की के साथ रेप और शिकायत करने पर उसकी मां का कत्ल, बैरसिया गैगरेप, राजगढ़ गैगरेप, छिदवाड़ा में नाबालिक लड़की के साथ रेप, शिवपुरी (मनपुरा गाँव) में गैगरेप आदि जैसी बड़ी घटनाएं मध्यप्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के असुरक्षित होने की कहानी बयां करती है।
दूसरी तरफ म.प्र. में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से सबंधित निम्नलिखित आकंड़े प्रदेश सरकार के दावों और जमीनी हकीकत के फर्क को सामने लाने के लिए काफी है
मध्य प्रदेश में बलात्कार और छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। यहां सबसे अधिक बलात्कार (संख्या 3135/14.1 फीसदी) और छेड़छाड़ की घटनाएं (संख्या 6646/16.4 फीसदी) रिपोर्ट की गई हैं जो देश में सबसे अधिक हैं।
दलित और आदिवासी महिला उत्पीडन की घटनाओं में भी हमारे प्रदेश दूसरे राज्यों से आगे हैं।
वर्ष 2011 में भोपाल जिले में 382, इंदौर में 287, ग्वालियर जिले में 327 और जबलपुर में 152 बलात्कार के मामले दर्ज किये गए।
महिलाओं के साथ रेप, लूट, अपहरण, चोरी, हत्या का प्रयास इत्यादी के कुल 54418 (2011) काइम हुए है। जिसमें इदौर में सबसे ज्यादा 18915 तथा दूसरे न पर भोपाल 14287 है। इसके बाद ग्वालियर और जबलपुर है।
बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में मध्यप्रदेश (18.4 फीसदी)का पहला नंबर है।
म.प्र. में 2010 में महिलाओं के साथ 16468 काइम हुए हैं। जो कि पूरे देश में 5 वे स्थान में था।
प्रदेश में 2004 से 2011 तक 35 हजार 395 बच्चियां लापता हुई हैं।
मध्यप्रदेश में महिला हिसां की बात करे तो घर के अंदर व धर के बाहर कार्यस्थल एवं सार्वजनिके स्थल दोनेा ही जगह महिलाए सुरक्षित नही है।
लगातार इतनी घटनाएं होने बाद के भी सरकार और प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कोई पहल नहीं की गई है, जिससे ऐसा लगे कि उसने इन वारदातों को गंभीरता से लिया है। अपराधियों में सजा का डर तक नहीं रहा है और वे अपराध किए जा रहे है!
वक्ताओं द्वारा बताया गया कि यह श्वेतपत्र ज्ञापन और निम्नलिखित मांगों सहित संबधित विभागों,मंत्रालयों और आयोगों को सौपा जायेगा।
साथ ही साथ मध्यप्रदेश के दर्जन भर संगठनों द्वारा प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के प्रति लगातार बढ़ते हिंसा के खिलाफ दिनांक 6 अप्रैल 2012 को शाम 6 बजे से भोपाल के ज्योति टाकिज स्क्वेयर पर विरोध प्रदर्षन का आयोजन भी किया जायेगा। जिसमें काला पटटी बांध कर विरोध दर्शाया जायेगा।
हमारी मांगे
जिम्मेदार विभाग केा संवेदनशील बनना एवं जवाबदेह बनाया जाये।
महिला के लिये बने कानूनो का कठोरता से क्रियावयंन सुनिष्चित किया जाये ।
मध्यप्रदेश के महिलाओं के घटते लिंगानुपात केा गभीरता से देखते हुये पीसीपीएनडीटी एक्ट के क्रियांवयन मे सुनिष्चित किया जाये एवं उल्लघन करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही किया जाये। तथा इसके सफल क्रियावयन हेतु राज्य एवं जिला सलाहकार समिति केा सक्रिय कर जवाबदेही बनाया जाये।
घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण कानून के सही क्रियावयन हेतु पृथक संरक्षण अधिकारी नियुक्त किया जावे।
सभी जिलेा में आश्रयगृहो एवं प्रशिक्षित परामर्ष दाता नियक्त किये जावे।
विशाखा गाइड़ लाइन को गम्भीरता से लागू करते हुए सभी सरकारी एवं गैर सरकारी सस्था एवं सगठनो मे कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन निवारण हेतु एक सक्रिय समीति का गठन किया जावे।
मध्यपदेश मे खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो से लडकीयां लगातार लापता हो रही है 2004 से 2011 तक प्रदेश में 35 हजार 395 बच्चियां लापता हुई हैं।इसके लिये सरकार ठोस कदम उठाये।
पितृसत्त एवं महिला विरोधी सोच वाली योजनाये जैसे कन्यादान, लाडली लक्ष्मी , जननी सुरक्षा एवं स्वास्थ्य मातृत्व पर प्रतिबंध लगाया जावे एवं किसी समुदाय विषेश के प्रतिकों के नाम से चलाई जा रही योजनाओं का नाम बदला जाये।
टोनही प्रथा को समाप्त करने के लिये मध्यप्रदेश स्तर पर कानून बनाया जावे।
एकल महिलाओ केा अलग ईकाइ के रूप मे देखा जावे एवं उनका राशन कार्ड बनाये जाये।
रोजगार गारंटी कानून में महिलाओ केा प्राथमिकता दी जावे उसमें भी खासकर एकल महिलाओ को।
बाल विवाह कानून पर कठोरता से पालन किया जावे।
रेल्वे स्टेशन बस स्टेण्ड रोजगार कार्यालयो मे पंजीयन बिलेा के भुगतान आदि कि व्यवस्था मे महिलाओ के लिये अगल पक्ति की अनिवार्यता एव बसो एवं टेनो मे 50 प्रतिशत सीटो का आरक्षण सुनिष्चित किया जाना चाहिये इसका उल्लघन करने वालो पर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये।
राज्य मे महिलाअेा के विभिन्न तबको केा ध्यान में रखकर सार्वजनिक बहस के माध्यम से महिला नीति बनायी जावे।
राज्य में महिलाओं की स्थिति पर राज्यस्तरीय प्रतिवेदन जारी करना अनिवार्य किया जावे।
सभी थानो मे आवयष्क महिला पुलिस कर्मी की नियुक्ति सुनिष्चित किया जावे।
प्रशासन,राजनीतिों को संवेदनशील बनाया जाये।
स्कूलों में जीवन कौषल को कोर्स में शामिल किया जाये।
स्कूलों से ही जेंड़र ट्रेनिग दी जाये।
शारीरिक अपराध के संबंध में महिलाएं पुलिस थाना में जाकर रिपोर्ट लिखवाने में आज भी एक भय सा महसूस करती हैं। महिलाओं के प्रति समुचित और प्रभावी कानून न होने के कारण वह अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करती हैं। समय की आवश्यकता है कि महिला कानूनों की समीक्षा कर उसमें ऐसे बदलाव किए जाएं जिससे कि महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत खुलकर कर सकें।
महिलाओ के लिए बनाई गए हेल्पलाइन नम्बर 1091 सभी टेलीफोन आपरेटरों द्वारा नि :शुल्क उपलब्ध हो।
बलात्कार पीडि़त महिला का (जूव पिदहमत) मेडिकल टेस्ट ना किया जाए।
बलात्कार जैसी संवेदनशील घटना को महिला की इज़्जत के साथ नही जोड़ा जाए साथ ही बलात्कार की खबर करते हुए पत्रकारों को भी भाषा का ध्यान रखते हुए आबरू व इज्जत“ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग ना किया जाए।
छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्रदेश के विष्वविधालयों और कालेजों में महिला सेल का गठन किया जाये।
युवा संवाद और नागरिक अधिकार मंच द्वारा जारी किया गया श्वेत पत्र यहाँ
भवदीय
उपासना /अरधा/दीपा/रोली/पुष्पा जी/ विभा
फोन- 9424401469/9425660377/9893350554
E-mail-Yuvasamvadbhopal@gmail.com
From : Hastkshep
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