नई दिल्ली।। 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले में एक नया मोड़ आ गया है। आरोपों की जद में इस बार बीजेपी नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी हैं। आरोप है कि सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट में घोटाले से 1.76 लाख करोड़ रुपए के घाटे वाली जो बात कही गई है, उसके पीछे उनका दबाव काम कर रहा था।
गौरतलब है कि सीएजी रिपोर्ट संसद के पिछले शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखी गई थी। जोशी 2जी घोटाले की जांच कर रही संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष हैं।
सीएजी में सेंट्रल रिपोर्ट के महानिदेशक आर. बी. सिन्हा ने 13 जुलाई, 2010 को उप सीएजी रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में कहा था कि डॉ. जोशी ने उन्हें फोन किया और कहा कि 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम आबंटन की लोक लेखा समिति द्वारा की जा रही जांच को लेकर उन पर सांसदों और मीडिया का बहुत दबाव है। पत्र की एक प्रति समाचार एजेंसी आईएएनएस के पास भी है, जिसके मुताबिक जोशी ने सिन्हा से यह भी कहा कि वह उन्हें और लोक लेखा समिति को रिपोर्ट की स्थिति से अवगत कराएं।
यह खुलासा ऐसे वक्त हुआ है, जब सीएजी विनोद राय ( मंगलवार को ही ) पूछताछ के सिलसिले में जेपीसी के सामने पेश हुए। उनसे रिपोर्ट को लेकर उनके पूर्व सहकर्मी आर. पी. सिंह की अलग राय पर सवाल किए गए। एक दिन पहले सोमवार को सिंह ने जेपीसी से कहा था कि 2जी घोटाले में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का निष्कर्ष दरअसल अनुमानों पर आधारित है। उनके मुताबिक वास्तविक नुकसान महज 2,645 करोड़ रुपए का है। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने लेखा परीक्षा रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव बनाया, जबकि वे इसकी बहुत सी बातों से सहमत नहीं थे। सिंह 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने नियंत्नक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)विनोद राय पर निशाना साधते हुए सोमवार को सवाल उठाया कि क्या उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आंवटन में राजस्व के नुकसान का आकलन लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के कहने पर बढ़ाचढ़ा कर पेश किया।
सिंह ने टिवटर पर कहा कि दस्तावेजों से यह साबित हो गया है कि कैग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने से पहले जोशी ने राय से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि राय इस बात से इन्कार करते रहे हैं लेकिन अब दस्तावेजों से यह साबित हो गया है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि नए तथ्य सामने आने से कुछ नए सवाल खड़े हो गए हैं१ क्या राजस्व के नुकसान की राशि बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई। क्या रिपोर्ट जल्दबाजी में बनायी गई। क्या यह पीएसी अध्यक्ष के इशारे पर किया गया।
उन्होंने कहा कि संचार विभाग के मामलों को देख रहे कैग के वरिष्ठ अधिकारी आर.पी.सिंह ने अब कहा है कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सिंह ने राजस्व का 2645 करोड़ रूपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया था एक लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नहीं। उन्होंने सवाल किया कि कैग ने ऐसा क्यों किया।
उन्होंने प्रश्न किया कि क्या राय का कोई एजेंडा है। क्या वह टीएन चतुर्वेदी की राह पर चल रहे हैं जिन्होंने कैग पद पर रहते हुए बोफोर्स रिपोर्ट पेश की थी और जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के सांसद बने और फिर राज्यपाल। हिमालय गौरव उत्तराखंड
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